30 मार्च को मोहाली में भारत और पकिस्तान के बीच वर्ष 2011 का विश्व कप क्रिकेट का सेमी फायनल मैच खेला जाना अभी बांकी है लेकिन उससे पूर्व सोमवार को हुई दोनों देशों के बीच गृह सचिव स्तरीय वार्ता के परिणामों को सकारात्मक बताया जा रहा है और भारतीय केन्द्रीय गृह सचिव श्री जी.के. पिल्लई और पाकिस्तानी राजदूत श्री सहीद मालिक के अनुसार इस वार्ता से निकट भविष्य में भी तमाम मुद्दों पर बातचीत का मार्ग प्रशस्त हुआ है, भविष्य में यदि दोनों देशों के बीच शांति एवं भाईचारे का माहौल कायम हो जाता है तो निश्चित ही राज नैतिक स्तर पर दोनों देशो के राजनयिकों के लिए यह एक विश्व कप जीतने जैसा ही होगा, अर्थात भारतीय प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह जी के आमन्त्रण पर पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री श्री युशुफ रजा गिलानी का मोहाली पहुँचने से पूर्व जो माहौल तैयार किया जाना था सो किया जा चुका है,
यहाँ पर माहौल शब्द को प्राथमिकता दी गई है, यह माहौल स्थाई नहीं है अपितु आपसी शौहार्द एवं भाईचारे का यह माहौल विश्व कप क्रिकेट के फाइनल तक तो रहेगा ही, इसमें किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए,लेकिन उसके बाद जो आज तक होता आया है सो तो होना ही है, अर्थात पाकिस्तान जाकर गिलानी साहब कश्मीर का राग अलापना आरम्भ कर देंगे और हमारे प्रधान मंत्री शांति-शांति जपते रहेंगे, वास्तव में ऐसा करना दोनों देशों के राजनयिकों की नियति (विवशता ) बन चुकी है, वरना क्रिकेट के बहाने यदि शांति एवं भाईचारे का माहौल कायम किया जा सकता तो यह शांति एवं भाईचारे का माहौल तो तभी कायम हो चुका होता जब वर्ष 1987 में प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजीव गाँधी के आमन्त्रण पर तत्कालीन पाकिस्तानी सैनिक तानाशाह जनरल जिया-उल-हक जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान का मैच देखने आये थे, माना की तब थोड़ी बहुत कोर-कसर रह गई होगी आपसी बातचीत में तो कालान्तर में इस कमी की भी पूर्ति हो जानी चाहिए थी जब वर्ष 2005 में स्वयं प्रधान मंत्री मनमोहन जी के आमंत्रण पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में मैच देखने पहुंचे थे,
लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और होगा भी नहीं, कम से कम क्रिकेट के बहाने तो दोनों देशों के बीच की खाई को पाटा नहीं जा सकता है, क्योंकि आजादी से अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच की कडुवाहट और जंक लगे हुए रिश्तों में पैनापन लाने हेतु दोनों देशो के बीच होने वाले क्रिकेट मैच ही काफी नहीं है अपितु इसके लिए आवश्यक है तो बस दृढ राजनैतिक इच्छा शक्ति की, दुर्भाग्य से दृढ राजनैतिक इच्छा शक्ति न इधर है और न ही उधर दिखाई देती है l
बहरहाल ! चौक्के या छक्के इधर से लगे या उधर से, क्रिकेट विश्व कप के फायनल में भारत पहुंचे या पकिस्तान, इस बात का अभी फैसला होना बांकी है लेकिन राजनैतिक स्तर पर दोनों खिलाडी ( नेता ) टाई के जरिये बराबर अंक हासिल करने में कामयाब रहे हैं जो की दोनों देशो की जनता के लिए एक संतोष की बात हो सकती है फिलहाल कूटनीतिज्ञों की माने तो इस बात की भी पुष्टि हुई है की खेलों के माध्यम से भी शांति एवं भाईचारे का माहौल कायम किया जा सकता है, देखना यह है की क्रिकेट एवं राजनीति का इस काकटेल का नशा स्थाई रहता है या फिर हमेश की तरह अस्थाई .....?
राजनीति में कब क्या हो जाय कह नहीं सकते फिर भी हमें कुछ अच्छा होने की उम्मीद रखनी चाहिए !
जवाब देंहटाएंसामयिक विषय पर आपका लेख वंदनीय है !
आभार !
क्रिकेट और राजनीती के बहाने आपने भारत-पाक रिश्तों पर एक सार्थक बहस छेड़ी है. ....... वस्तुतः आज भी हमें पडोसी देशों के साथ आपसी संबंधों पर नए सिरे से सोचना चाहिए. ऐसे सम्बन्ध जिनमे स्थायित्व हो ..... एक अच्छे पोस्ट के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआपने जिन बातों का ज़िक्र किया है वे सब महत्वपूर्ण है...... बस उम्मीद करते हैं की खेल से लेकर राजनीति तक कुछ सकारात्मक ही होगा......सार्थक सामयिक विवेचन ......बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआप ने एक महत्वपूर्ण विषय को छेड़ा है| राजनीती में कब क्या हो जाए पता नहीं चलता है| कुछ अच्छा होने की उमीद रख सकते हैं|
जवाब देंहटाएंभारत-पाक सम्बन्ध, पर क्रिकेट के बहाने बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने |
जवाब देंहटाएंइस तरह की निरर्थक नौटंकियां होती ही रहती हैं ..
फिलहाल हम खेल का आनंद लें...
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा छेड़ी है आपने ।
जवाब देंहटाएंआभार।
नवसंवत्सर 2068 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंक्रिकेट कूटनीति पर तो स्वयं अफरीदी ने ही बयान बाजी करके सब कुछ मटिया मेट कर दिया है
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुंदर पोस्ट पढ़ने को मिला जिसके लिए धन्यवाद! बहुत बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और सार्थक चर्चा .....
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