उफ़ ! कितना अजीब सपना था ? जी हाँ ! आज सुबह उठते ही मेरे मुखार बिंदु से टपकी ये पंक्ति सुनकर श्रीमती जी घबरा उठी , दरअसल पिछले ८-१० वर्षों में श्रीमती जी ने मुझे भली-भांति परख जो लिया है ,वो जानती हैं कल फिर कोई बुरा सपना देखा होगा, क्योंकि पिछले कई वर्षों से मेरे मनमस्तिस्क रूपी चैनल से बुरे स्वप्नों का निर्वाध रूप से प्रसारण जो चल रहा है, बहरहाल तुरंत ही मैंने श्रीमती जी कि शंका का समाधान करना ही उचित समझा और कहा "देखिये मेडम ! कल रात का सपना जरा हटके था , इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है , लेकिन श्रीमती जी को समझाने का मेरा प्रयाश कामयाब नहीं रहा ,क्योंकि "चन्द्र टरे सूरज टरे , जगत ब्यवहार ............"श्रीमती जी जानती हैं सूरज पश्चिम से उदय हो सकता है किन्तु मेरे सपने कभी सुहाने नहीं हो सकते , बताईये ना, क्या सपना देखा आपने ?
अजी कुछ नहीं, बस यूँ ही अजमल कसाब ............मैंने बात टालने कि कोशिश क़ी, लेकिन श्रीमती जी जैसे मेरा नार्को टेस्ट लेने पर उतारू थीं .
हाँ...हाँ .......बोलिए ! क्या हुआ बेचारे को ?
मै हक्का-बक्का और परेशान........तो क्या श्रीमती जी आप अजमल को जानती हैं ?
तपाक से जवाब मिला ! हाँ...हाँ... क्यों नहीं, वही अजमल जो मुम्बई हमले के दौरान पकड़ा गया था ! श्रीमती जी के हाव-भाव एवं नपे- तुले शब्दों से लग रहा था क़ी अवश्य ही मैडम अजमल से सहानुभूति रखती हैं.
तो क्या आप एक आतंवादी को " बेचारा " कह रही हो ? जिसने हमारे जाबांज अधिकारीयों पर गोली चलाई, जिसने हमारी बेकसूर जनता को गोलियों से भुन डाला तुम उसे बेचारा कह रही हो ? मेरे इस प्रश्नं का उत्तर श्रीमती जी न जाने कब से सोच के बैठी थी.........
हाँ ! में उसे बेचारा ही कहूँगी.......आपको हमारे अधिकारियो क़ी गलती कहीं पर भी नजर नहीं आई ? अजमल बेचारा तो नादान है , अभी उसकी उम्र ही क्या है ?
मेरा माथा ठनका ,मै नहीं चाहता था क़ी इस अंदाज में मेरे दिन क़ी शुरुआत हो, मुझे साक्षात् दर्शन हो रहे थे होटल ताज में किस प्रकार हमारे अधिकारीयों एवं सुरक्षा बलों का सामना आतंकवादियों से हुआ था , ठीक उसी अंदाज मे आज सुबह-सुबह श्रीमती जी से सामना .............
क्यों क्या गलती क़ी हमारे जाबांज अधिकारीयों ने ? मैंने जान क़ी परवाह किये बिना ही पूछना मुनासिब समझा.........
आतंकवादियों को छेड़ने क़ी क्या जरुरत थी ? वो भी घटिया बुलेटप्रूफ जाकेट पहन कर .................
बाप रे ! मामला यहीं पर रफा-दफा हो जाय तो अच्चा होगा, जान बची लाखों पाए.........
तो जनाब में किसी तरह ऑफिस का बहाना बना कर पतली गली से निकल लिया किन्तु आगे का सपना आप क़ी तरफ फैंक रहा हूँ मन का बोझ हल्का हो जायेगा .........हुआ यूँ क़ी बेचारा अजमल क़ी अम्मी जान का रो-रो कर बुरा हाल था ,होगा भी क्यों नहीं ....भला कौन माँ है जो अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से दूर होते देख कर भी न रोयें ...... उसके अब्बू ने लाख समझाया क़ी देखो बेगम हमारा अजमल पाकिस्तान,अफगानिस्तान या फिर किसी अरब मुल्क में थोड़े ही है ? हमारे पिछले जनम के कर्मों का ही फल है क़ी आज हमारा अजमल हिन्दुस्तान में है जहां कहा जाता है क़ी "अथिथि देवो भव: "
देखिये जी आप मुझे बहला रहें हैं,. में कब से कह रही हूँ क़ी मोहतरमा सोनिया जी से बात कर के देख लो ,सुना है बहुत ही नेक दिल महिला हैं वो ,उन्होंने तो प्रधान मंत्री क़ी कुर्सी को भी नकार दिया था ,.
" हाँ ! तुम ठीक कहती हो, सुना तो मैंने भी यही है , अच्छा मैं फोन लगाता हूँ ....
अजमल के अब्बू सोनिया जी को फोन लगते हैं
उधर से एक मर्दानी आवाज .........हेलो ! मैं सोनिया जी के ऑफिस से बोल रहा हूँ , आप कौन बोल रही हैं ?
देखिये जनाब मैं अजमल क़ी अम्मी बोल रही हूँ , क्या आप सोनिया जी के पी.ए. बोल रहें हैं ?
जी नहीं मोहतरमा ! मैं हिंदुस्तान का प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह बोल रहा हूँ ,दरअसल पी.ए. साहब छुट्टी पर हैं , कहिये क्या काम है आपको ?
जी ! अस्लम-वालेक्म सरदार जी ! दरअसल मुझे सोनिया जी से बात करनी थी ,क्या आप..........
जी मोहतरमा ! लो मैडम भी आ पहुंची हैं.....मैं मैडम को फोन देता हूँ....
(हिंदी, अंग्रेजी और इटालिअन धुन को को संतुलित करती हुई) हाँ जी ! मे सोनिया गाँधी बोल रही हूँ हिंदुस्तान से....., कहिये क्या कहना है आपको .............?
उधर से अजमल क़ी अम्मी रुंधे स्वर में अपने लाडले क़ी कुशल क्षेम पूछती है.
इधर मेडम सोनिया जी से अजमल क़ी अम्मी के आंसूं देखे नहीं गए..... हालाँकि फोन पर केवल टप-टप क़ी आवाज ही सुनाई दे रही थी .....
देखिये मोहतरमा ! आपके अजमल को कुछ नहीं होगा , बल्कि मैं तो यही कहूँगी क़ी आपका बेटा पाकिस्तान से ज्यादा यहाँ हिंदुस्तान मैं सुरक्षित है, आप मुझ पर भरोसा रखिये ,मैं भी दो बच्चों क़ी माँ हूँ, एक माँ के दुःख को एक माँ ही अच्छी तरह से समझ सकती है ......
अजमल क़ी अम्मी " मोहतरमा आप पर भरोसा नहीं करुँगी तो किस पर करुँगी .......किन्तु.......(रोना आरंभ कर देती है फोन पर सिसकियाँ साफ सुनी जा सकती थी )
किन्तु ...क्या ? साफ-साफ कहिये ............ बेझिजक कहिये और मुझे अपनी बहिन समझकर ............... किन्तु...... मोहतरमा सोचती हूँ अजमल के अन्य साथी तो मारे गए. बेचारा अकेला रह गया हिंदुस्तान में ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नहीं है मेरा बेटा... (फिर रोना शुरू कर देती है...)
आंखे तो सोनिया जी क़ी भी भर आयी थी .... किन्तु पद और प्रतिष्ठा का ख्याल जो आ गया.
देखिये मोहतरमा आप इसकी चिंता मत कीजिये आपका बेटा यहाँ हिंदुस्तान में अकेला नहीं है हमारी पुलिस, हमारे अधिकारी और तो और हमारे नेता लोग भी अजमल के साथ है आपका बेटा पढ़ा लिखा नहीं है तो क्या हुआ उसके साथ हमारे हिन्दुस्तानी कैदी भी है जो उसे हिन्दुस्तान क़ी जेलों के तौर-तरीके अच्छी तरह से समझा रहे है. हमारे वकील उसके ब्यान खुद ही लिख देते है, अब तो आपका बेटा अपने ही बयान से मुकरना भी सीख चूका है फांसी से तो उसने अपने आपको बचा ही रखा है बस आप उसका चरित्र प्रमाण पत्र क़ी फोटो कॉपी भेज दीजियेगा, हम उसे जल्दी -से -jaldi रिहा करने क़ी कोशिश करते है और हाँ ! हो सकता है मायके (इटली) को जाते वक़्त में उसे साथ ही ले आऊंगी .
तभी मनमोहन सिंह कमरे में प्रवेश करते है , " मैडम अजमल क़ी फोरंसिक रिपोट आ गई है "
सोनिया जी फाइल देखते हैं और .....'लो एक खुश खबरी 'तुम्हारा बेटा तो अभी नाबालिक है , उसकी रिपोट आ गई है,
अच्छा तुम जश्न मनाओ , मैं फोन रखती हूँ......
अभी मेरा सपना पूरा भी नहीं हुआ था क़ी पडोसी ने ऊँची आवाज मे टी. वी. ऑन कर दिया , जिसमें एक विज्ञापन प्रसारित हो रहा था " धन्य हो चिडयाँ (सोनिया ) माई, तुने उसे भी गोद लिया ............."
अच्छे सपने देखा करो भाई !
जवाब देंहटाएंसपने में भी हकीकत देखते हो
ये ठीक बात नहीं !
Achhi prasturi..
जवाब देंहटाएंMahashivratri ki haardik shubhkamnayen.