सोमवार, 8 मार्च 2010

शुक्रिया......ख़त के लिए i


ख़त लिखना
जब वन में
खिल उठे 'बुरांश',
खेतों  में  महकने  लगे
पीली-पीली  सरसों
अबकी  फागुन  में होली
खेली कि नहीं ?
लिखना !
जब तुम बाँच लोगे
होली के रंग
और
आरंभ हो जायेगा
शोहार्द एवं भाईचारे का 
एक नया अध्याय i
लिखोगे ना ?
जब तुम्हें सुनाई दे  
ऋतुराज बसंत कि 
प्रथम आहट
और
गगन में दिखाई दे
अबीर और गुलाल के रंग
शुक्रिया !
ख़त के लिए i  




4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी कविता

    महिला दिवश की हार्दिक शुभकामनायें.

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  2. pardesh mein apne bahut yaad aate hain aur yaad aati hai apni baate. aapki kavita man ko chhoo leti hai.

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  3. khat likhne ka romanch aur use paane ka intjaar kitna khas hota hai. aapki kavita mein yah bhav jiwant hai. aap hamare bjog par aaye aur apne valuable comments diye.. shukriya.

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