आज बासन्ती की तीसरी एवं सबसे छोटी बेटी पांचवी कक्षा में पढ़ती है जबकि उसकी सबसे बड़ी बेटी दसवीं पास कर चुकी है, मुट्ठी बंद रेत की मानिंद कैंसे वक़्त गुजर गया उसे इस बात की भनक तक नहीं लगी, आज भी उसे भली-भांति याद है कि कैसे दूसरी बेटी के जन्म के साथ ही उस पर मानो कयामत टूट पड़ी थी, रोज-रोज की मारपीट और अत्याचारों का दौर वही से आरंभ हुआ था, और जब उसने तीसरी बेटी को जन्म दिया तो उसपर होने वाले जुल्मो-सितम की सारी हदें पार हो चुकी थी, रोज-रोज की मार-पीट और जिल्लत भरी जिन्दगी से तंग आकर अंतत: बासंती ने ससुराल छोड़ने का फैसला कर ही लिया l
बूढ़े एवं असहाय मां- बाप की इकलौती बेटी अब अपनी तीनों मासूम बेटियों सहित माँ-बाप की दहलीज पर वापस लौट आई थी, हालाँकि अब रोज-रोज की अपमान भरी जिन्दगी और मार-पीट का दौर ख़त्म हो चुका था लेकिन यहीं से आरम्भ हुई थी उसकी जिम्मेदारियां और संघर्षों का एक कभी न ख़त्म होने वाला सफ़र,बूढ़े माँ -बाप और तीनो बेटियों की जिम्मेदारीयां अब उसके कन्धों पर आन पड़ी थी, और मेहनत एवं मजदूरी ही शायद उसकी नियती बन चुकी थी जिसे बासन्ती ने ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार भी कर लिया था, और आज जब कभी
फुर्सत के क्षणों में माँ-बाप की छत्र - छाया तले अपनी तीनो मासूम एवं होनहार बेटियों को देखकर ससुराल में बिताये हुए चंद वर्षों को याद करती है तो सिहर उठती है, शायद यही वह सिहरन थी जो हर बार उसके पुराने जख्मों को कुरेद कर ताजा कर देती थी और उन्ही जख्मो की पीड़ा ने उसके दिल और दिमाग में भर दिया था कुछ कर गुजरने का जूनून, देखते ही देखते आज उसका वही जूनून उसे खींच लाया है देश का सबसे लोकप्रिय टी .वी. शो " कौन बनेगा करोड़पती" के मंच तक l
"हाँ ! तो देवी जी अब हम आपसे पूछेंगे इस एपिसोड का अंतिम सवाल, सही जवाब देने पर आपको मिलेंगे पूरे एक करोड़.......
कहिये ! तैयार हैं आप ?
जी हाँ ! देखते ही बनता था बासन्ती का आत्मविश्वास,
अमित जी अपनी चीर-परिचित आवाज एवं दिलकश अंदाज में बासन्ती से अंतिम सवाल पूछते हैं, बासन्ती को इस बात का अहसास था की अंतिम और पूरे एक करोड़ का सवाल का जवाब देना इतना आसान नहीं होगा !
क्या सोच रही हैं आप ?
जी ! कुछ नहीं,
स्टूडियो मे बैठे हुए दर्शकों की ही नहीं अपितु अपने-अपने टी.वी. सेटों के सामने बैठे हुए देश-विदेशों के तमाम दर्शकों की भी साँसे जैसे कुछ पलों के लिए थम सी गई थी,
पानी पियेंगी आप ?
जी नहीं !
क्या लगता है आपको ? जीतेंगी आप एक करोड़ रुपया ?
जी हाँ ! जरुर.........
ठीक है में एक बार फिर सवाल दोहराता हूँ !
जी जरुर !
हाँ ! तो बताइए देवी जी, इनमे से कौन सा जानवर हंसने की काबलियत रखता है ?
आपके पास चार विकल्प हैं ......
ए - हाथी, बी - गैंडा, सी - शेर, डी - हयना
ख़ामोशी..............गहन ख़ामोशी ...... टिक.......टिक....टिक .....घडी की सुइयां तेजी से आगे बढ़ रही थी, बासन्ती ने मानो अपने समस्त इन्द्रियों को निष्क्रिय कर लिया हो सिवाय मस्तिषक के ...........
आप्शन डी !
सोच लीजिये.............. !
सोच लिया.......................... !
आप कहती हैं की आप्शन डी को लाक किया जाय ?
जी हाँ !
कम्प्यूटर जी ! चौथा विकल्प लाक किया जाय .................
कुछ पलों की ख़ामोशी के बाद अमित जी.......
देवीयो और सज्जनों ! यहाँ पर बासन्ती जी..........................
बासन्ती मन ही मन सोच रही थी "अमित जी ! मुझे भरमाने का प्रयत्न न करें तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं जानती हूँ कम्प्यूटर का फैसला भी मेरे ही हक में आने वाला है ".....
हाँ ! तो बासन्ती जी क्या आप को पता था की हयना हंसने की काबलियत रखता है ? ( सच-सच बताइयेगा )
जी नहीं !
तो फिर आपने आप्शन डी को ही क्यों चुना ? अमित जी का व्यक्तिगत सवाल था...
क्योंकि हाथी ,गैंडा और शेर के बारे में मैं जानती हूँ की ये हंसने की काबलियत नहीं रखते हैं, सो जाहिर है ..........
तभी दर्शक दीर्घा में बैठे हुए लोगों ने शोर मचाना आरम्भ कर दिया और तालियों की गडगड़ाहट ने स्पष्ट संकेत देने आरम्भ कर दिए थे की बासन्ती का जवाब सही है और वही बनी है करोडपति ............
देवीयो और सज्जनों ! देश एवं दुनियां के दर्शको ! बासन्ती देवी जैसी बेटियां किसी भी घर में जन्म ले सकती हैं
याद रखियेगा ............................l
Marmik Prastuti, Aur ha aapne sahi kaha hau,ki Basanti jaisi betiyan sabke gher me ho ....
जवाब देंहटाएंnasanti ka jawab kabile tarif hai ............
बहुत मार्मिक कहानी है बसंती की| पर बसंती के साहस को नमन|
जवाब देंहटाएंबासंती के जीवन में फिर से बसंत लौट आया, सुखद लगा..... कहानी का प्रस्तुतीकरण रास आया भाकुनी जी..... बधाई.
जवाब देंहटाएंहौसले की जीत आत्मविश्वास की जीत .....बासंती की जीत ...... बहुत सुंदर कथा ...सार्थक सन्देश.....
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास जगाती हुई सुन्दर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंआनंद! आनंद! आनंद!
आशीष
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लम्हा!!!
बहुत खूब ....शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वाश को जागृत करने वाली , प्रेरक प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंलेखन शैली बहुत सुन्दर |
प्रेरक प्रसंग ने आत्मविशाव्स से भर दिया। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआत्म विश्वास , दूर दृष्टि, और कठोर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
जवाब देंहटाएंआत्म विश्वास से भर देने वाली प्रेरणादायी प्रस्तुति । व्यक्ति के गुण , चाहे स्त्री हो या पुरुष अपना रंग दिखाते ही हैं , और उस व्यक्ति को सफलता दिलाते ही हैं। प्रतिभाएं यूँ ही निखरती हैं।
जवाब देंहटाएंइश्वर के खेल निराले ।
सब के हिस्से में कुछ न कुछ सुख हैं डाले ।
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वाह...
जवाब देंहटाएंअलग एवं अनूठा प्रयास है ये वही सन्देश देने का...
बेटियां भी कम नहीं होती और आत्मविश्वास की तो जीत होती ही है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
behad umda lekhni...
जवाब देंहटाएंek karod ka aalekh...wastaw me बासन्ती देवी जैसी बेटियां किसी भी घर में जन्म ले सकती हैं..
aapko follow kar raha hun...dhanywad
बहुत अच्छा लिखा आपने...
जवाब देंहटाएं_______________
पाखी बनी परी...आसमां की सैर करने चलेंगें क्या !!
वास्तव में,समान अवसर मिलें,तो उनके किसी से पिछड़ने का कोई कारण नहीं।
जवाब देंहटाएंप्रेरक सुखांत। बहुत बढ़िया।..बधाई।
जवाब देंहटाएं..खेद है कि देर से आया।
मैं ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए पिछले कुछ महीनों से ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सकी!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
जिनमें होता है हौसला जीत उन्हीं की होती है ...बहुत प्रेरक कहानी ...
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश के साथ हौसलों के सूरज को बांटती प्रेरक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार !
No new post ?....quite a long gap ....होली पर एक पोस्ट लगा दीजिये।
जवाब देंहटाएंकठोर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
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