बुधवार, 25 मई 2011

व्यापक जन समर्थन और उसकी विश्वसनीयता ................



कुछेक पारिवारिक समस्याएं और कुछ  वर्षों से लंबित पड़े कार्यों की वजह से  गाँव जाना हुआ, ठीक उसी दौरान जब दिल्ली के जन्तर-मंतर में आधुनिक गाँधी अर्थात गाँधी वाद से प्रेरित समाज सेवी अन्ना हजारे   भ्रस्टाचार  के विरुद्ध जन लोक पाल बिल के समर्थन में आमरण  अनशन पर बैठे थे, महज ४ दिनों में ही सरकार ने अन्ना के आगे घुटने टेक दिए, और आनन-फानन में कुछेक संशोधनों के साथ आने वाले संसद सत्र में जन लोक  पाल बिल को पास करने  हेतु सरकार की ओर  से अन्ना की टीम को या  फिर दुसरे शब्दों में कहें तो भ्रस्टाचार से त्रस्त देश की जनता को अस्वासन दिया गया और एक नन्ही सी बच्ची के हाथों से जूस पीकर अन्ना जी ने अपना अनशन तोडा और उसी के साथ देश में आरम्भ हो गया जश्नों का दौर, ढोल- नगाड़े, आतिशबाजी, अन्ना के जयकारों और देश भक्ति गीतों के साथ झूम उठा सारा देश, वास्तव में तब ऐसा लग रहा था मानो आज हमने  गाँधी जी के नेत्रत्व  में सच्चे मायनों में आजादी हासिल कर ली है, आम जनता को नहीं पता था की क्या होता है जन लोक पाल बिल, बावजूद इसके जश्न में पूरी रात निकल गई, सोचा था कल का  सूरज  बिलकुल ही अलग होगा, कल की सुबह इस देश के लिए एक नई शुरुआत होगी, और हम कल से एक ऐसे भारत के नागरिक होने पर गर्व महसूस कर सकेंगे जिसकी बागडोर मेहनतकश एवं इमानदार लोगों के हाथों में होगी  और जहाँ चतुर्दिक में गुंजाई मान होगा उमंग एवं उल्लास से भरपूर जीवन गीत 'दुःख भरे दिन बीते  रे भईया, अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया लायो रे........ओये होए दुःख भरे दिन बीते रे भईया ...बीते रे भईया .......लेकिन यह क्या ? अचानक मन मयूर उदास हो गया अगली सुबह के आते-आते  ......
बहरहाल ! अन्ना जी हो या फिर  भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले किसी भी व्यक्ति या फिर संगठन के विरुद्ध दुष्प्रचार करना मेरा मकसद नहीं है, मैं हर उस व्यक्ति के साथ हूँ जो भ्रष्टाचार  के विरुद्ध आवाज बुलंद करता है, मैं किसी भी ऐसे  संगठन से जुड़ना चाहूँगा जो देश हित में अग्रसर है और जो  एक सगठित, खुशहाल, मेहनतकश एवं ईमानदार समाज की नीव रखना चाहता है, इसमें कोई संदेह नहीं की आज भी इस देश में  ऐसे व्यक्तियों  की कोई कमी नहीं है जो ईमानदार है, परिश्रमी है और देश एवं समाज की तरक्की एवं खुशहाली की सोचते है, आज भी इस देश में कई ऐसे संगठन मौजूद है जो राष्ट्र की सुरक्षा एवं  अखंडता के प्रति समर्पित हैं, इन सब के बावजूद भी आज यदि देश में चारों ओर  त्राहि माम, त्राहि माम की गूंज सुनाई देती तो जाहिर है  एक सशक्त,संगठित एवं खुशहाल राष्ट्र के निर्माण हेतु किये जा रहे प्रयासों में कही-न-कही खामियां रह गई हैं, या फिर इन प्रयासों में पूर्णत: इमानदारी नहीं बरती जा रही है, इसके अतिरिक्त भी देश एवं समाज हित में जारी किसी भी प्रयास अथवा आन्दोलन की सफलता या असफलता निर्भर करती है व्यापक जन समर्थन पर,  दुर्भाग्य से आज का जन समर्थन देश एवं समाज के पक्ष में दिखाई नहीं देता है, क्योंकि आज जिसे व्यापक जन समर्थन कहा जा रहा है वह केवल जश्नप्रिय  समाज का एक हिस्सा है, जो की किसी भी घटना या दुर्घटना के समय कहीं भी, कभी भी मौजूद रहता है, समाज का यही जश्नप्रिय हिस्सा सबसे घातक साबित हुआ  है   देश एवं समाज हित में किये जा रहे प्रयासों  या फिर  आंदलनो की  राह में, सच तो यह है की आम आदमी हो या फिर कोई राज नेता अथवा चतुर्थ श्रेणी का कोई कर्मचारी हो या फिर किसी भी विभाग का उच्चाधिकारी, समाज का  यही वह  हिस्सा है जिसका चरित्र ही गन्दा है, जिसका आचरण ही भ्रष्ट है, भ्रस्टाचार एवं बेईमानी  जिसकी रगों में खून की मानिंद दौड़ रहा है l 
उपरोक्त संदर्भ में अक्सर लोगों को कहते सुना जा सकता है की भ्रस्टाचार को उपर से नहीं अपितु जड़ से खत्म करना होगा, अर्थात भ्रस्टाचार एवं बेईमानी को ख़त्म करने हेतु सर्वप्रथम उस आम एवं आचरण से  भ्रष्ट व्यक्ति पर विशेष ध्यान देना होगा  जो सडक से संसद तक भ्रस्टाचार रूपी   संक्रमण का संवाहक बना हुआ है,  अन्यथा सिर्फ जन लोक पाल बिल  संसद में पास हो जाने से इस समस्या का समाधान होने वाला नहीं है l 






13 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही विचार हैं आपके ...

    भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में बहुत से भ्रष्टाचारी भी मुखर होकर अन्नाजी के गुणगान कर रहे थे | मेरा आशय राष्ट्रीय स्तर से नहीं बल्कि जिलों और कस्बों से है ,जहां कई छुटभैये इसमें भी राजनीति चमकाने का अवसर तलाश लिए थे |

    सब से बड़ी बात है 'हम सुधरेंगे - जग सुधरेगा '

    घूंस लेनेवाले से ज्यादा उतावले घूंस देकर काम कराने वाले होते हैं |

    भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए स्वार्थ को त्यागकर दृढ संकल्प लेना होगा और फिर जारी होगा संघर्ष ....

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  2. भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सबसे पहले भ्रष्ट नेताओं से मुक्ति पाना ज़रूरी है ! बाकी चीजें अपने आप सही हो जायेंगी !
    आपका लेख पढ़कर अच्छा लगा !

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  3. भ्रष्टाचार को मिटने के लिए हर एक को यह संकल्प करना होगा कि वह न रिश्वत लेगा न देगा फिर ही इस पर अंकुश लग सकता है| क्यों कि रिश्वर लेने वालों से देने वालों की तादात किहीं जादा है|

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  4. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! हमारे देश के सारे नेता एक समान है और अगर इन नेताओं को हटाया जाए तो भ्रष्टाचार दूर हो सकता है! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!

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  5. बिलकुल सही विचार हैं आपके भ्रष्टाचार को मिटने के लिए हर एक को यह संकल्प करना होगा

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  6. ....आम एवं आचरण से भ्रष्ट व्यक्ति पर विशेष ध्यान देना होगा जो सडक से संसद तक भ्रस्टाचार रूपी संक्रमण का संवाहक बना हुआ है, अन्यथा सिर्फ जन लोक पाल बिल संसद में पास हो जाने से इस समस्या का समाधान होने वाला नहीं है ...bilkul sach...
    ...bahut sundar chintan-manansheel aalekh....

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  7. लगभग दो माह के बाद ब्लॉग पर आपकी वापसी हुयी है भाकुनी जी, धन्यवाद ! भ्रष्टाचार और लोकपाल बिल पर आपने खुल कर लिखा है. वास्तव में यही एक सम सामयिक और ज्वलंत मुद्दा भी है. बिल पारित होगा, सचमुच यह आजादी के बाद सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. परन्तु क्या बिल आ जाने से ही समस्या हल हो जायेगी? सार्वजानिक स्थलों पर धुम्रपान निषेध है, परन्तु कहीं लोग आज भी धड़ल्ले से धुम्रपान करते देखे जा सकते हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कहीं-कहीं दबंगों के खिलाफ सूचना मांगना भारी पड़ जाता है. लोकपाल बिल सख्ती से लागू हो तो हिंदुस्तान का सितारा चमक सकता है. वैसे सर्वविदित है कि भ्रष्टाचार हमेशा ऊपर से आता है. किसी ऑफिस में ऊपर वाला यदि ईमानदार और सख्त हो तो नीचे वाले की मजाल क्या कि ....... वैसे ही कोई मंत्री ईमानदार और दबंग हो तो फिर.... ऐसे लोगों को प्रायः 'खूसट' कहा जाता है.
    सार्थक व रचनात्मक पोस्ट के लिए आभार.
    बारामासा पर आपसे टिपण्णी अपेक्षित है.

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  8. अन्ना हजारे द्वारा प्रस्तावित लोकपाल बिल उच्चस्तरीय भ्रष्टाचार में लगाम लगाएगा, ऐसी सम्भावना है | भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने के लिए अभी बहुत लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी |

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  9. सटीक आलेख...... जड़ों तक पहुंची हुई है यह समस्या ......

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  10. बढ़िया चिंतन है ! शुभकामनायें आपको !

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