शनिवार, 4 जून 2011

जन आन्दोलन को समर्पित एक पोस्ट .....



               मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने मे सही, 
               हो कही भी आग लेकिन आग लगनी चाहिए ........
                                                                                                              दुष्यंत कुमार ,
  जी हाँ  !  इससे क्या फर्क पड़ता है की देश में व्याप्त भरष्टाचार के विरुद्ध जारी इस आन्दोलन का नेतृत्त्व कौन  कर रहा है, उसका परिधान क्या है, उसका व्यसाय क्या है ? समाज में उसकी पहिचान क्या है ? उसका रंग-रूप , उसकी जाति और उसका मजहब क्या है ? ये वो प्रश्न है जो समय -समय पर बाबा राम देव के सम्बन्ध में उठाये जाते रहे हैं , आवश्यक नहीं की एक भटके हुए समाज या फिर राष्ट्र का नेतृत्व सिर्फ एक राजनेता ही कर सकता है, सच तो यह है की  कोई भी राज नेता इस देश को सही राह पर ले जाने में सक्षम नहीं रहा है, यही कारण हैं की आज देश में व्याप्त भरष्टाचार  एवं कुशासन के विरुद्ध  साधु-संतों, मुल्ला-मौलियों और गुरुजनों को आगे आना पढ़ा है, दुर्भाग्य से आज भी इस देश का एक तबका ऐसा है जो सिर्फ किसी राजनेता के नेतृत्व में ही विश्वास करता है और आन्दोलन की सफलता के प्रति शंकित है, शायद इसीलिए ऐसे बेहुदे प्रश्न उसके द्वारा उठाये  जा रहे  हैं,  और आन्दोलन से जुड़ रहे लोगों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा  रहा है,      
बहरहाल! एलोपैथिक दवाइयां तेजी से अपना असर दिखाती हैं जबकि आयुर्वेदिक दवाइयों का असर  धीरे-धीरे नजर आताहै, भृष्टाचार के विरुद्ध अरब देशों की क्रांति और भारत में चल रहे आंदोलनों में शायद यही फर्क है, संक्षेप में कहूँ तो इलाज लम्बा चलेगा और बीमारी का जड़ से उन्मूलन होगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए,
 व्यस्था परिवर्तन की जो लहर चल पड़ी है उसे कमजोर न होने  दें क्योंकि इस दिशा में हमारा अपना योगदान काफी मायने रखता है, जबकि इस जन आन्दोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है? उसका पहनावा, उसका व्यसाय, समाज में उसकी पहिचान, उसका रंग-रूप, उसकी जाति और उसका मजहब कोई मायने नहीं रखता है , भ्रष्टाचार उन्मूलन और व्यस्था   परिवर्तन की  दिशा में बाबा रामदेव के नेतृत्व में जारी व्यापक जन आन्दोलन को समर्पित एक पोस्ट ......................






17 टिप्‍पणियां:

  1. यक़ीनन इलाज लम्बा चलेगा.....अच्छा है इसकी शुरुआत तो हुई.... सार्थक पोस्ट

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  2. ये ही फ़र्क है देशी दवा का, रोग जड से खत्म करती है, दबाती नहीं है,

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  3. बाबा रामदेव का जन आनंदोलन जरुर सफल होगा| धीरे धीरे ही सही पर असर जरुर करेगा| धन्यवाद|

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  4. भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी है, यह मिट सकेगा ऐसा अभी तो संभव नहीं है, लेकिन उम्मीद की जा सकती है. गाँधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जी के आन्दोलन को मै 1857 की आज़ादी की जंग के समान मानता हूँ. उस जंग का एक महत्व था. फिर भी ब्रिटिश राजशाही को उखाड़ने में पूरे नब्बे बरस लग गए थे. भ्रष्टाचार की जड़ें भी उससे कम गहरी नहीं है... ईश्वर करे इतना लम्बा समय न लगे, यही कामना है.
    सार्थक व रचनात्मक पोस्ट के लिए आभार !

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  5. व्यस्था परिवर्तन की जो लहर चल पड़ी है उसे कमजोर न होने दें क्योंकि इस दिशा में हमारा अपना योगदान काफी मायने रखता है

    आपका कहना सही है ..हम सभी का योगदान अपेक्षित है ...आपका आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए ..!

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  6. यही तो समस्या है कि आंदोलनकारी अब और प्रतीक्षा करने को राज़ी नहीं हैं। उन्हें त्वरित एलोपैथिक दवा चाहिए।

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  7. .

    @-बीमारी का जड़ से उन्मूलन होगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए,

    Let's hope for the best !

    .

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  8. निसंदेह जड़ सहित उन्मूलन आवश्यक भी है इसके लिए हर व्यक्ति को स्वयम से व्यवस्था सुधारका गुण विकसित करना होगा तीव्र बीमारी में अलोपथिक और कण्ट्रोल होने के बाद आयुर्वैदिक इलाज चाहिए

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  9. bahut khoob..........bhrastachar k safaye k liye sabhi ko aage aana hoga.. pura syastem isse trastr hai

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  10. बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..

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  11. अपनी कुटिल चालों और बर्बरता से आन्दोलन को बाधित करनेवाली केंद्र सरकार भले आज अपनी पीठ थपथपा कर बाबा रामदेव के पुनीत अभियान को ख़त्म कर देने की बात सोच रही हो किन्तु उसे इसके दूरगामी परिणाम की जरा भी जानकारीनहीं है | बाबा रामदेव का आन्दोलन पूर्णतया सफल हुआ है , देश का जन-जन जागरूक हुआ है |

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  12. एक सही दिशा में उठाया गया सही एवं ठोस कदम!!

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  13. लगता है फिलहाल सरकार की ताकत (!) ने आन्दोलन को विराम लगा दिया है|

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  14. बहुत बढ़िया और शानदार पोस्ट! देखते हैं क्या होता है! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  15. Shaandra post .........ab aage ki bari hai .......
    kal wo akele the ......aaj hamari bari hai............

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  16. बढ़िया सामयिक आवाहन ! हार्दिक शुभकामनायें !!

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