..........गुजरिया की मासूमियत अब लापतागंज पर भारी पढने लगी है, आज हालात यह है की गली-मोहल्ले में अक्सर लोगों को कहते सुना जा सकता है की ऐसी मासूमियत भी किस काम की ?
लेकिन गुजरिया जी हम भी चमेली जी से कम थोड़ना ही हैं, हमको भी सब पता है की हमारे प्रधान मंत्री जी निहायत ही ईमानदार और सच्चे इंसान ही नहीं अपितु एक कुशल अर्थशास्त्री भी हैं इसके बावजूद भी देश के तमाम छोटे-बढे घोटाले इन्ही के नेत्रत्व तले संपन्न हुए, लोकपाल बिल हो या फिर काले धन का मुद्दा, जब तक आन्दोलन की शक्ल अख्तियार करते इससे पहले ही कुचल दिए गए, अर्थशास्त्र का ज्ञान देखिये की रुपया ऐतिहासिक निम्न स्तर तक पहुँच गया, महंगाई सातवें आसमान में पहुँच गई है तब भी मात्र 28 रु दिन में कमाने वाला गरीबी की श्रेणी में शामिल नहीं है, एक ओर योजना आयोग की 50 वर्ष पुरानी ईमारत के दो शौचालयों की पुनर्निर्माण की लागत रु. 35 लाख को जायज ठहराया जाता है और वही दूसरी ओर आम आदमी के शौचालय की कीमत महज 3500 रु. आंकी जाती है, और भी अनेकों उदाहरण हैं जो आपकी ईमानदारी, आपकी सच्चाई और अर्थशास्त्र सम्बंधित आपके ज्ञान पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं.....मानता हूँ आप सच्चे हैं, आप इमानदार हैं और आप एक कुशल अर्थशास्त्री भी हैं लेकिन ....
अर्थशास्त्र में गोल्ड मेडल प्राप्त अर्थशास्त्री का यह कैसा अर्थशास्त्र?........
जवाब देंहटाएंकहीं वे 'अर्थ' (Money) शास्त्री तो नहीं है, और हम गलत फहमी में हों?
सही कथन.... सार्थक लेख..भाकुनी जी
जवाब देंहटाएंलापता गंज और गुजरिया और साथ में प्रधान मंत्री जी ......
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंआम और खास के लिए अलग-अलग अर्थशात्र है जो हमें कुशल राजनीतिज्ञों के कार्यव्यवहार से पता चलता है ... और सब जगह यही तो चलता रहता है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिंतनकारी आलेख
सार्थक प्रश्न ...अच्छे कार्य पर वाह वाही ओर बुराई से ये अनजान हैं
जवाब देंहटाएंबहुत ही चिंतनशील आलेख !!!
इन्होंने अर्थशास्त्र भी उसी किताब से पढा है जिससे नीतिशास्त्र, समाजशास्त्र और इतिहास! कुछ लोग अपना ज्ञान कहकर व्यक्त करते हैं, कुछ (सत्यानाश) करके ... ये दूसरे वाले हैं ...
जवाब देंहटाएंअब जब कुछ पता ही नहीं है तो लापतागंज में ही रहते! इतने जाने पहचाने पते पर क्यों?
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
इनकी पढ़ाई विदेश की है। केवल नौकरी देसी है।
जवाब देंहटाएंइनका अर्थशास्त्र इन्हीं की भांति महान है ... जाने देश को कहाँ पहुचाएंगे..
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रश्न,विचारणीय आलेख,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,