धूल भरी सड़कों को रोंदता हुआ
उम्र को मापता है कोई
चौराहे पै खड़ा
मानवीय भीड़ में
स्वयं को खोजता हुआ
उस एकांकी से पूछे
की !
कौन हो तुम ?
वह मै ही था जो स्वयं को मानवीय भीड़ मे खोजने का प्रयास कर रहा था , क्योंकि अत्यधिक संवेदनशील एवं भावुक मन झुकने की इजाजत नहीं देता था , यही कारण था की संघर्ष के उस काल मै भी मैंने संयम नहीं खोया और स्वयं को लाचार नहीं होने दिया , मै ठान चुका था .......देखता हूँ ......मै किस हद तक संघर्ष कर सकता हूँ ?
सपष्ट तौर पर कहूँ तो मैंने जीने की ठान ली थी ........शायद यही भीष्म प्रतिज्ञा आगे चल कर मेरे बहुत काम आइ.....
मुझे इंतज़ार है उस उस घड़ी का,
जब अस्त हो जायेगा
दहकता हुआ सूरज
अपने छितिज में ,
और सूरज की किरणों से भयभीत
टीम-तिमाते तारों की दुनिया में
स्वप्नों का एक घरोंदा
मै भी बनाऊंगा
अगली सुबह के आने तक !
वर्ष १९९०-९१ , जब एक कटी पतंग की मानिंद दिशा हीन होकर अपने वजूद की तलाश मे भटक रहा था तब उसी दौरान मुझे लगा की मै साहित्य के क्षेत्र मे कुछ कर सकता हूँ क्योंकि तब तक मेरी कुछ छोटी-मोटी कवितायेँ ,कुछ पत्रनुमा लेख विभिन पत्र-पत्रिकाओं मे छप चुकी थी, रोजी-रोटी की तलाश मे इधर -उधर भटकना मेरी दिनचर्या का एक अहम् हिस्सा बन चूका था, उसी दौरान पर्यटक नगरी नैनीताल की सैर .......कोई वजह नहीं थी, कोई ठिकाना नहीं था ,जून का महिना, झील के चादुर्दिक सैलानियों का जमावड़ा , गर्मी के इन दिनों मे नैनीताल की रौनक देखते ही बनती है,किन्तु मेरे लिए यह रौनक कोई मायने नहीं रखता था ,मै यहाँ घुमे-फिरने या फिर मौज-मस्ती के लिहाज से नहीं आया था, हवा का एक झोंखा था जो मुझे बहा कर यहाँ तक ले आया ........
तुम नौका बन जाओ !
या किसी स्वछ एवं शीतल
झील का किनारा !
पालदार नौका मै सवार होकर
मंथर गति से तैरते-तैरते
जब मै तुमसे मिलने आऊं
तब हे प्रियतमा !
तुम स्वयं को बदलने की
चेष्ठा न करना
क्योंकि !
तुम महज एक कविता हो
जिसकी भूल-भुलैया मे
मै और मेरा अस्तित्व
अक्सर खोया रहता है I
बहुत खूब जनाब
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
बहुत सुंदर रचना है। नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है। pls visit...
जवाब देंहटाएंwww.dweepanter.blogspot.com
very nice...!!
जवाब देंहटाएंतुम महज एक कविता हो
जवाब देंहटाएंजिसकी भूल-भुलैया मे
मे और मेरा अस्तित्व
अक्सर खोया रहता है ...
Bahut sundar abhiwyakti hai!
Behad samvedansheel rachna hai!
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