शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

तुमने न जाने क्या सपने दिखाए

आलू-प्याज,सेब-संतरा
एक ही टोकरी मे,
रेत की भांति बंद मुट्ठी से
चीनी सरक रही है !
 लैपटॉप की कार्य क्षमता
मोबाइल का बैकप
निरंतर बढ़ रहा  है ,
वही दूसरी ओर
चूल्हा ?
जलने से पहले ही
बुझने की सोचता है !
यह आटा हैं की
ग्लूकोन-डी पावडर ,
तौबा ! तौबा !
केरोसिन ?
पेट्रोल से प्रतिस्पर्धा
कर रहा है !
चुनावी घोषणा पत्र का
अंतिम पृष्ठ  पढ़ा क्या ?
जिसमें लिखा था ,
किये गए वादे,
दिए गए आश्वासन 
सभी काल्पनिक हैं, 
जिनका आम जनता से 
कोई लेना-देना नहीं है  I

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