शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

छोटू !


छोटू !
सभ्य एवं शिक्षित
समाज का दायाँ  हाथ
सूरज की प्रथम किरण के साथ
आरंभ होती है
उसकी दिनचर्या !
कूड़े के ढेर पर
या किसी ढाबे मै
किस्मत अच्छी थी
बाबु जी के घर पर I
छोटू !
आज बहुत खुश है  
पाव भर आटा
साथ मे आलू-प्याज
दिन भर की थकान
माँ के चरणों मे,
देख  ! मै क्या लाया हूँ ?  
एक हाड़-मांस की पोटली
गले  से लगाती है
अपने लाडले को,
और लाडला ?
ख़ुशी-ख़ुशी से
आरंभ कर देता है
दिन भर की प्रथम
आइसक्रीम चूसना I

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