एक चिंगारी मात्र से ही
मेरा मन-मष्तिक
सक्रीय हो उठा
और मै जानवर से
इंसान कहलाया,
हाss हाss हाss
प्रकृति से प्राप्त
इस अनमोल वरदान से
अभिभूत होकर
मै निकल पड़ा
उस दानव की भांति
जिसे अभी अभी
ब्रह्मा ने
अजेय होने का
वरदान तो दे दिया
किन्तु
अपने पास भी
रख लिया है
एक विकल्प
उसकी पराजय हेतु I
अब मैंने संसाधनों के बहाने
आरम्भ कर दिया
प्रकृति का दोहन ,
अथाह समुद्र की गहराई को
मापते हुए
आज मै विचरण कर रहा हूँ
चाँद सितारों की दुनिया में,
किन्तु,
क्षणिक विश्राम हेतु,
जब मै
इस धरती पर कदम रखता हूँ
तो स्वयं को पाता हूँ
बारूद के ढेर में,
और अब
वहीँ एक मात्र चिंगारी
मेरे अस्तित्व के लिए
बन बैठी है
सबसे बड़ी चुनौती I
जब मै
जवाब देंहटाएंइस धरती पर कदम रखता हूँ
तो स्वयं को पाता हूँ
बारूद के ढेर में,
और अब
वहीँ एक मात्र चिंगारी
मेरे अस्तित्व के लिए
बन बैठी है
सबसे बड़ी चुनौती I
- बहुत सुन्दर. साधुवाद.