मंगलवार, 2 नवंबर 2010

बस एक दीया काफी है अँधेरा मिटाने को........



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दीपावली  अर्थात दीपोत्सव ! मर्यादा पुरुषोत्तम  श्री राम जब चौदह वर्षों का वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटे तब अयोध्या वासियों ने सम्पूर्ण नगर में घर-घर दीप प्रज्वलित कर उनका अभिनंदन किया और तभी से दीपावली की परम्परा चली आ रही है .
दीपावली को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है  जहां प्रकाश का अर्थ है ज्ञान और अमावस की अँधेरी रात इशारा  करती है अज्ञानता  की ओर , इसके अतिरिक्त यह भी मान्यता है की इस अवसर पर सम्पूर्ण बिधि-विधान से  सुख समृधि एवं वैभव की प्रतीक माँ लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न  किया जाता है और एक सुखी जीवन की कामना की जाती है ,धनतेरस, नरक चौदस, गोवर्धन पूजा, भाईदूज और चित्रगुप्त पूजा, इन पांच पर्वों का महापर्व दीपावली न सिर्फ भारत में ही मनाया जाता है अपितु विश्व के कई अन्य देशों जैसे नेपाल ,श्री लंका, थाईलेंड ,मारिशस और ब्रिटेन  में  भी किसी न किसी रूप में मनाया जाता है ,
समय के साथ-साथ परिवर्तन भी निश्चित है ,हमारे तीज-त्यौहार भी इस सत्य से परे  नहीं रहें लिहाजा समय के साथ-साथ आज दीपावली का भी रूप-स्वरूप और इसे मनाने के तौर तरीकों में भारी बदलाव आये हैं .परम्परागत मिटटी के दिए आज शगुन  के तौर पर ही प्रयोग किये जा रहें हैं जबकि विभिन्न प्रकार  के विद्युत साजसज्जा की वस्तुवों और मन मोहक रंग-बिरंगे आतिशबाजी की सामग्रियों  से दुकाने भरी पड़ी हैं जो न सिर्फ विभिन्न दुर्घटनाओं को आमन्त्रण देते हैं बल्कि जिन पर हम आर्थिक  रूप से भी एक अनावश्यक व्यय करते हैं और पर्यावरण प्रदुषण को बढ़ावा देते हैं .
तो आइये  इस दीपावली को उसके वास्तविक स्वरूप में  मनाने का प्रयाश करें  और चतुर्दिक फैले इस अज्ञान रूपी अन्धकार को मिटाने हेतु  हम सब मिलकर जलाएं बस ज्ञान रूपी एक दीया....
इसी आह्वान के साथ सभी ब्लोगर्स, सभी पाठकों और समस्त देशवासियों को दीपावली की ढेरों शुभ कामनाओं सहित हार्दिक बधाई.............
                      शुभ दीपावली.  ! 



 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आप को भी दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ|

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  2. आप को भी दीपावली की ढेरों शुभ कामनाओं सहित हार्दिक बधाई.

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  3. आपको भी दीपावली की शुभकामनायें भाई........अपने त्यौहारों की आपने अच्छी व्याख्या की है........ दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जिसका हर कोई लगभग सारे साल इंतजार करता है, जाने क्यों.......वैसे मेरा मानना है कि इसके पीछे पौराणिक कथा जो भी हो किन्तु यह प्रकाश पर्व ऐसे समय पर मनाया जाता है कि वर्षा ऋतु विदा हो जाती है,सर्दी आने को तैयार रहती है और किसान अपनी फसलें बटोर कर घर ले आतें है. मौसम में हल्का गुलाबीपन होता है. मौसम में ही वो रवानगी होती है कि मन वैसे ही झूमने को होता है..........लेकिन अब इन नगरों/महानगरों में दीपावली कहाँ मनाई जाती है, दिखावा मात्र है. घरों को लड़ियों से सजाना हो चाहे पटाखे फोड़ना हो. अपने को बड़ा दिखाने की कामना ही है. ............गाँव में होते थे तो रात भर पटाखे फुलझड़ियों के बीच पंचायती चौक में अलाव जलाकर ढोल नगाड़े की थाप पर नाचना , हंसी मजाक की फुलझड़ियाँ छोड़ना और दूर दूर से आये अपने लोगों से मिलना मिलाना,एक दूसरे के हाल चाल जानना अर्थात दुःख दर्द बाँटना......पर अब यह सब कहाँ?

    ............बस अब तो केवल धुवां है.

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  4. भाईवर,
    नमस्कार!

    आपको भी दीप-पर्व की अनंत आत्मीय मंगलकामनाएँ!

    आपके आत्म-कथ्य से ईमानदारी झलक रही है... एवं ब्लॉग के शीर्ष पर दर्ज आपकी भाषा-विषयक स्पष्ट स्वीकारोक्ति से किसी को कुछ कहने का अधिकार ही नहीं रहा, वरना मैं विनम्रतापूर्वक कुछ संकेत अवश्य कर बैठता आपके वर्तनी-दोष पर।

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  5. सुन्दर जानकारी का आभार। यहाँ , थाईलैंड में भी दिवाली मनाते हैं, लोय -क्रेतोंग के नाम से।

    आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की शुभ कामनाएं।

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  6. @ जितेन्द्र जोहर जी सर्वप्रथम तो मैं आपका आभार और अभिनंदन करता हूँ की की आप मेरे ब्लॉग पर आये और दीपावली की बधाई स्वीकार की .
    आपने कहा -
    "आपके आत्म-कथ्य से ईमानदारी झलक रही है... एवं ब्लॉग के शीर्ष पर दर्ज आपकी भाषा-विषयक स्पष्ट स्वीकारोक्ति से किसी को कुछ कहने का अधिकार ही नहीं रहा, वरना मैं विनम्रतापूर्वक कुछ संकेत अवश्य कर बैठता आपके वर्तनी-दोष पर."
    आपको मेरी प्रोफाइल में इमानदारी नजर आई यह मेरे लिए गर्व की बात है ,इसके लिए एक बार पुन: आपको धन्यवाद ,लेकिन वर्तनी दोष सम्बंधित जो भी संकेत आप देना चाहेंगे मुझे स्वीकार्य है और स्वागत है ऐसी प्रतिकिर्याओं का , और मैं स्वीकार भी करता हू की व्याकरण सम्बंधित पर्याप्त ज्ञान अर्जित नहीं कर पाया हूँ ,बस येन- केन प्रकारेण अपनी भावनाओं, और अपने जज्बातों को शब्दों की लड़ी में पिरोने का प्रयाश मात्र करता हूँ . मार्गदर्शन करते रहियेगा.
    पुनश्च: दीपावली की हार्दिक बधाई और धन्यवाद.

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  8. तो आइये इस दीपावली को उसके वास्तविक स्वरूप में मनाने का प्रयाश करें और चतुर्दिक फैले इस अज्ञान रूपी अन्धकार को मिटाने हेतु हम सब मिलकर जलाएं बस ज्ञान रूपी एक दीया....

    aamin.
    aapko bhi dipawali ki dheron shubhkamnayen.

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  9. सुन्दर जानकारी का आभार।
    आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!

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