गुरुवार, 25 नवंबर 2010

.......तो इसमें हर्ज़ ही क्या है ?

चूहों की  सभा  में बिल्ली के आतंक से बचने का एक उपाय यह भी सुझाया गया की "क्यों न बिल्ली के गले में घंटी बांध दी जाय " सुझाव अच्छा था लिहाजा करतल ध्वनी के साथ सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया , तभी एक वरिष्ठ  अनुभवी चूहे ने एक प्रश्नं खड़ा कर दिया की " आंखिर बिल्ली के के गले में घंटी कौन बांधेगा ?"यह सुनकर सभी चूहे हक्के-बक्के रह गए , एक दुसरे का मुह ताकने  लगे, कोई भी चूहा अपनी जान को जोखिम में डालकर बिल्ली के गले में घंटी बांधने को तैयार नहीं था , कुछ देर के लिए सभा में सन्नाटा  छा गया , तभी एक कोने से बिल्ली के आने की आहट सुनाई दी , आनन-फानन में डर के मारे सभी चूहे अपने-अपने बिलों में जा छिपे और बिना किसी नतीजे पर पहुंचे ही चूहों की सभा  समाप्त हो गई I 
अक्सर ऐसा ही होता है , भ्रष्टाचार ,आतंकवाद ,अलगाववाद हो या फिर सामाजिक असमानता और असुरक्षा , हम सभी इन बुराइयों से पीड़ित हैं और दबी जुबान से इनका विरोध भी करते हैं, और चाहते हैं की देश एवं समाज से इन बुराइयों का खात्मा  हो लेकिन इस दिशा में पहल करने का मतलब होगा 'जान को जोखिम में डालना' और बात वहीँ की वहीँ पर अटक जाती है कि " बिल्ली के गले  में घंटी कौन बाधेगा ?"
वर्ष   १८५४ में  स्वेत/श्याम पर्दे पर एक फिल्म जागृति  आई थी जिसमें एक गीत के बोल थे "हम लाये हैं तुफान से किश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ................जहां तक मेरा गणित है सयोंग से  उसी  दौर के बच्चों के हाथों में आज देश कि बागडोर है , आजादी के ६३ वर्षों के बाद भी आज देश कि ५०% जनता अशिक्षित है  या फिर महज नाम लिखना जानती है   और देश कि ६५% जनता मूलभूत स्वास्थ    सुबिधाओं  से बंचित है या मौजूदा स्वास्थ सुबिधायें उसकी पहुँच से बाहर है , गुलामी के दौरान भारतीयों के दमन और शोषण मे  सहायक  जो कानून अंग्रेजों  ने हम पर थोपे थे आज भी वही कानून स्वतंत्र भारत में लागू  हैं जिनके चलते महज ५% अपराधियों को दंड मिल पता है और लगभग ९५% लोगो को हमारी न्यायपालिका उचित न्याय नहीं दिला पाती है , आतंकवाद, अलगाववाद , बेईमानी, भ्रष्टाचार , अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी एवं भारी असमानता से जूझ रहे इस देश में बोफोर्ष , आई. पी अल, कामनवेल्थ, आदर्श सोसाईटी और टू.जी. स्पेक्ट्रम जैसे घोटाले  निरंतर सामने  आ रहे हैं, आज हमारे देश का अरबों रुपया काले धन के रूप में स्विस बैंको  में पड़ा है , इतनी बड़ी धन राशी से विश्व के कई देशो कि अर्थव्यवस्था चल रही है इसके विपरीत आज देश का किसान हो या फिर आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार , सामूहिक आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर हैं , ऐसे विषम परिस्थितियों  में  स्वामी राम देव जी यदि व्यस्था परिवर्तन कि बातें करते हैं तो इसमें बुराई क्या है ? क्यों बाबा जी की सभाओं को विडियोग्राफी   कि जा रही है ? क्या हम नहीं चाहते हैं कि देश से आतंकवाद, अलगाववाद ,भ्रष्टाचार, बेरोजगारी ,अशिक्षा ,और असमानता का खात्मा हो ? जी हाँ ! यदि हम चाहते हैं कि देश में खुशहाली हो , अमन-चैन हो , अपनी भाषा हो , अपने कायदे - कानून हो अर्थात    भ्रष्टाचार एवं भयमुक्त समाज हो ? तो क्यों न हम जाति  , धर्म एवं असमानताओं के  बन्धनों को तोडकर बाबा जी के हाथ मजबूत करें और बाबा जी को समर्थन  दें  i
     मैं मानता हूँ  राजनेता , अफसरशाही एवं तथाकथित बाबाओं ने बार-बार इस देश कि जनता को झूठे सपने दिखाए और झूठे आश्वासन  दिये , बार-बार छली गई है इस देश कि जनता अपने हुक्मरानो द्वारा , बार-बार गुमराह किया गया है इस देश कि जनता को उसके  मार्गदर्शकों  द्वारा, बावजूद इसके भी जो जनता अपने झूठे एवं भ्रष्ट राजनेताओं, अफसरों  और तथा कथित बाबाओं का समर्थन करती  है यदि वही  जनता एक बार खुले मन  से स्वामी रामदेव जी का स्वागत करे और उनका समर्थन करे तो इसमें हर्ज़ ही क्या है ?
स्वामी रामदेव जी के शब्दों में :-
"मैने अपनी सम्पूर्ण प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर इन भ्रष्ट, बेईमान एवं ताकतवर लोगों को चुनौती दी है और इन भ्रष्ट राजनैतिक व्यवस्थाओं एवं नीतियों को बदलने  का द्रढ़ संकल्प किया है , सच तो यह है कि हमारा यह अभियान किसी के खिलाफ बगावत नहीं है और न ही  कोई देशद्रोह या बखेड़ा , मैने देश के प्रति अपना कर्तव्य ,धर्म या राष्ट्र धर्म मानकर इस आन्दोलन को प्रारम्भ किया है , हमारा उद्देश्य  देश कि नीतियों एवं कानून में सुधार लाकर  भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी से मुक्त भारत का निर्माण करना है , मेरा मानना है देशभक्त एवं ईमानदार राजनेता एवं करोड़ों देश वासी हमारे साथ खड़े होंगे और अंतत: देवत्व कि विजय होगी और असुरत्व कि पराजय  i "
जी हाँ  ! बिगुल ध्वनी  के साथ बाबा जी आह्वान करते हैं  -: 
उतिष्ठत संन्ह्यध्व्मुदारा :केतुभी:सह iसर्प इत्तर्जना रक्षांस्य मित्रानु धावत ii
अर्थात-  उठो वीरो  ! कमर कस लो ! धर्म धवजा  या राष्ट्र ध्वज हाथों में  पकड़  लो ! जो भुजंग है , लम्पट, देशद्रोही   राक्षस हैं , शत्रु  हैं,  उनको परास्त करके  देवत्व कि विजय  और असुरत्व कि  पराजय करो  i उपरोक्त वैदिक शौर्य  मन्त्र के साथ ही बाबा जी ने नींव  रखी  'भारत स्वाभिमान ट्रस्ट' की और उन्होंने  फैसला कर लिया है की वे स्वयं ' बिल्ली के गले में घंटी बांधने का जोखिम लेंगे और देश एवं समाज को भ्रष्ट एवं बेईमान  बिल्ली के आतंक से  मुक्त करके ही  दम लेंगे i 
बहरहाल !  'राष्ट्र हित ही सर्वोपरी है ' यदि हम धर्म, जाति  एवं असमानता की दीवार लाँघ कर  उक्त वाक्य को अपने जीवन में उतार लें तो निशंदेह हम सुनहरे कल की ओर बढ़ रहे हैं   i 


p_singh67@yahoo.com

14 टिप्‍पणियां:

  1. पहले मैं भी बाबा रामदेव के योग युक्त प्रवचन नहीं सुनता था पर जब एक बार सुना तो मैं उनका कायल हो गया...
    उन्होंने सबके सामने पूरे-पूरे सटीक अंकों के साथ जो बयान दिए, उससे तो होश ही उड़ गए...
    अब भारत अगर बदल सकता है तो इस बाबा की ही बदौलत.. ज़रूरत है तो सिर्फ और सिर्फ समर्थन की..
    पर अभी काफी काम बाकी है..

    बाबा पिछड़े वर्गों में पैठ बनाने की कोशिश करेंगे तभी सफलता हाथ आएगी..
    अब देखना ये है कि वो कितना सफल हो पाते हैं.. पर हमारा समर्थन तो हमेशा ही उनके साथ रहेगा..

    जय हो!

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  2. 5/10

    आपकी बात सही है ... एक अवसर इनको भी मिलना चाहिए.
    बाके सब तो आगे सामने आएगा

    सूखी बातों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.
    ऐसे कई लोग सत्ता के शीर्ष पदों पर विराजमान हुए जिन्होंने बातों से ही जनता का दिल जीता था, लेकिन हुआ क्या ? महज निराशा ही हाथ लगी न ? सत्ता का भी अपना निज चरित्र होता है जिसके हाथ में आती वो उसके रंग में ढल जाता है.

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  3. बाबा रामदेव जी का कथन सही है भाकुनी जी, .......भ्रष्टाचार शब्द सुनकर अब आश्चर्य नहीं होता है, अब 'कम भ्रष्ट' और 'ज्यादा भ्रष्ट' जैसे नए शब्द समाज ने गढ़ दिए है......... किन्तु क्या बाबा रामदेव इतने सक्षम होंगे कि वे भ्रष्टाचार मिटा पाएंगे. टी. एन. शेषन, गोविंदन खैरनायर आदि विभूतियों ने एक दिशा दी थी...... किन्तु पूरा समाज, पूरा देश उनके साथ खड़ा नहीं हुआ.......... बी. जे. पी. ने भी नारा दिया था " सबको परखा बार बार, हमको परखो एक बार. ....." किन्तु क्या हुआ. उस्ताद जी का कहना सही है कि 'सत्ता का नशा आदमी को बदल देता है.'...........विचारोत्तेजक लेख के लिए आभार.

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  4. @Pratik Maheshwari ji blog pe aakey apne mera anobl badhaya iskey liye aapka bahut dhanyvaad,
    @उस्ताद जी aapka mulyankn merey liye aaina sabit huwa,iskey liye apka abhaar vyakt krta hun. 'सत्ता का नशा आदमी को बदल देता है. Ummid to yahi ki jani chahiye ki abki baar aisa na ho .
    @सुबीर रावत ji aapka khna sahi hai ,likin kisi n kisi pr hamen viswas karna hi hoga,haath pr haath dharey bhi to kaam nahi chaleyga ....टी. एन. शेषन, गोविंदन खैरनायर आदि ke pryash bhi vyarth nahi gaye halanki unka ddyra simit tha .
    janta main jagrukta failani hogi......

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  5. .

    सत्ता में जो लोग हैं अभी , उनसे तो ज्यादा उम्मीद नहीं है। बाबा रामदेव , किरण बेदी जी के साथ मिलकर कुछ करेंगे देश और आम जनता के लिए ऐसा विश्वास है।

    .

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  7. दिव्या जी(ZEAL) के मत से सहमत हूँ ...शुक्रिया

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  8. @ आदरणीय केवल जी
    आप ब्लॉग पर आए इसके किये आपका आभार व्यक्त करता हूँ .निश्चित ही मेरा मनोबल बढ़ा है ,
    कृपया मार्गदर्शन करते रहियेगा .

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  9. सरे चूहों को इकट्ठा घंटी लेकर जाना चाहिए. ऐसे घेरना चाहिए की बिल्ली भी डरना सीख जाए.
    घुघूती बासूती

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  10. बाबा रामदेव जी का कथन सही है|अगर सारी जनता साथ दे तो?

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  11. अच्छा लिखा है आपने। आपके ब्लॉग का शीर्षक अच्छा लगा। ये प्रकृति के समीप ले जाता है।

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  12. @ ममता त्रिपाठी Ji
    आप ब्लॉग पर आए और ब्लॉग का शीर्षक अच्छा लगा इसके किये आपका आभार व्यक्त करता हूँ .

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  13. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  14. ब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
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