यदि होता अजमल कसाब मैं ,
आर्थर जेल में रहता l
हाथों में हथकड़ियाँ होती ,
बिल्ला खूब चमकता ll यदि होता .........
कोर्ट ,कचहरी जज से मेरी ,
सीधी बात कराते l
कहना होता जो भी मुझको ,
टेप में दर्ज कराते ll यदि होता .........
पुलिस , कमांडो पहरा देते ,
बैरक पर सब मेरे l
सिटी, सायरन ,सीसीटीवी ,
चहुँ ओर बहुतेरे ll यदि होता .........
जो मैं मांगू सो मिल जाते ,
सुख-सुविधाएँ सारी l
खाना-पीना , दवा-दारू में ,
खर्चा होता भारी ll यदि होता .......
प्रेस रिपोर्टर,फोटोग्राफर ,
भीड़ जुटाते भारी l
मेरी एक झलक पाने को
दुनियां तरसे सारी ll
यदि होता अजमल कसाब मैं.........
रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता"यदि होता किन्नर नरेश मैं, राज महल में रहता" से प्रेरित होकर l ( प़ी.एस.भाकुनी )
अच्छा व्यंग्य है !
जवाब देंहटाएंदेश को दुश्मन को न जाने हम कब तक पालते रहेंगे
मुझे दुख है
जवाब देंहटाएंकि
आप अजमल कसाब नहीं हैं।
हा हा
> नीरज जाट जी
जवाब देंहटाएंek baar phle bhi ap mere blog pr aaye the ,tb bhi aapki tippani kuch aisi hi thi , wastav main mujhe aapka yh andaaj bahut bhaya hai , sukriya blog pr aane or apni bahumuly pratikirya vyakt krne hetu .......
मियां सपने में भी न सोचो..व्यंग तक ही ठीक है.....निर्दोंषों की जान लेने से बेहतर है वैसे ही मर जाना
जवाब देंहटाएंभाकुनी जी, शुभ शुभ लिखो. आर्थर और कसाब के बारे में न ही सोचे तो अच्छा ही है........... अच्छा व्यंग्य. .........वधाई. (क्या बात, ब्लॉग से बुरांश गायब है?)
जवाब देंहटाएंजबरदस्त व्यंग !
जवाब देंहटाएं> boletobindas
जवाब देंहटाएंaap mere blog main aaye or apni pratikirya vyakt ki jis hetu main aapka abhaar vyakt krta hun .
> सुबीर रावत ji (क्या बात, ब्लॉग से बुरांश गायब है?)
kis sandrbh main aapka khna hai ? sahyad main samajh nahi paaya hun , so please........