ममता की धमकी
माया की हार,
दलितों की बस्ती से
राहुल का प्यार,
कहते थे वो हैं
बेहद जरुरी,
उनके बिना जीत
आधी - अधूरी
वादों की झड़ियाँ,
विवादों के रेले,
लगते हैं जब भी
चुनावों के मेले,
करते हैं वादे
निभाते नहीं हैं,
मुडकर ये सूरत
दिखाते नही हैं,
किस्से हजारों हैं
कुर्सी के यारो,
इसके दीवानों को
पत्थर न मारो.
दलितों की बस्ती से
राहुल का प्यार,
कहते थे वो हैं
बेहद जरुरी,
उनके बिना जीत
आधी - अधूरी
वादों की झड़ियाँ,
विवादों के रेले,
लगते हैं जब भी
चुनावों के मेले,
करते हैं वादे
निभाते नहीं हैं,
मुडकर ये सूरत
दिखाते नही हैं,
किस्से हजारों हैं
कुर्सी के यारो,
इसके दीवानों को
पत्थर न मारो.
सभी ब्लोगर, पाठकों एवं देश वासियों को नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
जवाब देंहटाएंदिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
सटीक लिखा है...नवसंवत्सर की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता जी ! आप को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंक्या करें यही सब सहने को देशवासी अभिशप्त है ! खैर, अच्छा कविता व्यंग्य ! आपको भी इस नव बेला की शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंजनता सबक सिखाती तो है,मगर बार-बार नहीं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य| नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंसटीक रचना ...नव वर्ष की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं..वादों की झाड़ियाँ विवादों के रेले,
जवाब देंहटाएंलगते हैं जब भी चुनावों के मेले,....
बसंत ऋतु में राजनीति पर एक चुटीला व्यंग्य. आभार !
रचना में "...वादों की झाड़ियाँ..." नहीं "...वादों की झड़ियाँ...." होना चाहिए था. कृपया देखें.
सुन्दर प्रस्तुति..बहुत-बहुत बधाई । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंsteek prastuti... aapko bhi nav samvatsar ki shubhkamnaayen.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सटीक...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसटीक......
आपको भी नव संवत्सर की शुभकामनाएँ.
सादर
अनु
सटीक रचना ||
जवाब देंहटाएंfollower ka option daaalo bhai |
जवाब देंहटाएंOK
हटाएंवाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
सुन्दर सटीक रचना..भाकुनी जी ! बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंसटीक ...बहुत बढ़िया लिखा है ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंसमर्थक बन गया हूँ,इसी तरह स्नेह बनाए रखे,...आभार
पी.एस भाकुनी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !!
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
सुंदर शब्दावली प्रेरणादायक कविता ....रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
sateek samyik vyang..
जवाब देंहटाएंbahut badiya prastuti
सटीक ब्यंग युक्त अत्यंत चुटीली अभिव्यक्ति !!!पिछले कुछ दिनों से अति व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर आना न हो सका क्षमा सहित ....
जवाब देंहटाएंpathhar ke alawa aur kisi ke layak hai bhi nahi ye kursi ke deevane...bahut achchi prastuti
जवाब देंहटाएंसटीक ! बहुत बढ़िया ,बधाई एवं शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंतीखा सन्देश देती छोटी सी रचना के लिए बधाई आपको ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया व्यंग किया है
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...